भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के प्रमुख पवित्र धाम हैं, जो लाखों भक्तों द्वारा पूजित होते हैं। ये ज्योतिर्लिंग शिवभक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं, और इनमें से प्रत्येक धाम की अपनी पौराणिक कथा और महत्व है।
तो, ज्योतिर्लिंग वास्तव में क्या है? 'ज्योतिर्लिंग' शब्द दो संस्कृत शब्दों से लिया गया है - 'ज्योति' जिसका अर्थ है प्रकाश और 'लिंग' जिसका अर्थ है भगवान शिव का प्रतीक। भारत भर में ऐसे 12 ज्योतिर्लिंग हैं, जिनमें से प्रत्येक हिंदू पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक महत्व में एक विशेष स्थान रखता है।
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग:
१. सोमनाथ :
सोमनाथ ये जगह जूनागढ़ से 82 किलोमीटर के दुरी पर है, यह पश्चिमी भारत में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में प्रभास पाटन, वेरावल में स्थित है। ये मंदिर सोलह बार नष्ट और फिर से निर्मित किया गया यह मंदिर पूरे भारत में श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. अरब सागर के तट पर स्थित इस मंदिर की दृढ़ता भक्ति की अमर भावना का प्रमाण है.
२. महाकालेश्वर:
ये जगह मध्य प्रदेश के महाकाल, उज्जैन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का घर है। महाकाल का लिंगम स्वयंभू माना जाता है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एकमात्र ऐसा है. यह दक्षिण की ओर मुख वाला एकमात्र मंदिर भी है और गर्भगृह की छत पर श्री रुद्र यंत्र उल्टा रखा हुआ है। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ शक्ति पीठ और ज्योतिर्लिंग एक साथ हैं.
३. ओंकारेश्वर:
ओंकारेश्वर मध्य प्रदेश राज्य के खंडवा जिले के मांधाता शहर में स्थित है जो की नर्मदा नदी पर है और यहां एक ज्योतिर्लिंग मंदिर और ममलेश्वर मंदिर स्थित है. ये जगह उज्जैन से १४३ किलो मीटर के दुरी पर है. कहा जाता है कि इस द्वीप का आकार देवनागरी ॐ चिह्न जैसा है.
४. भीमाशंकर :
भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र के भीमाशंकर गांव में स्थित है, जहां से भीमा नदी निकलती है। भीमाशंकर वन को डाकिनी वन के नाम से जाना जाता है। भीमाशंकर मंदिर कल्याण से १८० किलो मीटर की दुरी पर है, महाराष्ट्र की हरी-भरी सह्याद्री पहाड़ियों में, हमें भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग मिलता है। ये जगह घने जंगलों और आश्चर्यजनक प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है.
५. रामेश्वरम:
रामलिंगेश्वर ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु में है. ये ज्योतिर्लिंग चार धाम तीर्थस्थलों में से एक है और ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने स्वयं इसकी पूजा की थी। मंदिर के शानदार गलियारे देखने लायक हैं.
६. त्र्यंबकेश्वर:
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र राज्य के भीमाशंकर से कुछ ही दूरी पर है. ये जगह नाशिक से ३० किलो मीटर के दुरी पर है. यह पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है और इस मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और शिव का प्रतिनिधित्व करने वाले तीन मुखों वाला लिंग है.
७. केदारनाथ :
उत्तराखंड में केदारनाथ को भगवान शिव के शाश्वत निवास कैलाश पर्वत के सबसे उत्तरी और निकटतम ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है. केदारनाथ हिंदू धर्म के छोटे चार धाम तीर्थयात्रा सर्किट का एक हिस्सा है. बर्फ से ढके हिमालय में बसा केदारनाथ एक प्राचीन तीर्थस्थल है. बर्फ से ढकी चोटियों और मंदाकिनी नदी से घिरा केदारनाथ न केवल एक आध्यात्मिक डेस्टिनेशन है, बल्कि एक प्राकृतिक आश्चर्य भी है। मंदिर तक केवल ट्रेक द्वारा ही पहुंचा जा सकता है, जो तीर्थयात्रा में रोमांच का एहसास जोड़ता है.
८. मल्लिकार्जुन:
मल्लिकार्जुन, जिसे श्रीशैल भी कहा जाता है, ये मंदिर आंध्र प्रदेश में रायलसीमा के कुरनूल जिले में एक पहाड़ पर स्थित है। ये मंदिर वास्तुकला और मूर्तिकला की दृष्टि से समृद्ध है। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ शक्ति पीठ और ज्योतिर्लिंगम एक साथ हैं। आदि शंकराचार्य ने अपनी शिवानंद लहरी की रचना यहीं की थी.
९. बैद्यनाथ :
बैद्यनाथ मंदिर को बाबा बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है. यह झारखंड राज्य के संथाल परगना डिवीजन के देवघर में स्थित है. इस मंदिर परिसर में बाबा बैद्यनाथ के केंद्रीय मंदिर के साथ-साथ 21 और मंदिर शामिल हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां पूजा करने से कोई भी बीमारी ठीक हो जाती है और भक्तों को अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है.
१० : नागेश्वर:
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात में दारुकावनम नामक जंगल में स्थित है. यह मंदिर सभी विषों से सुरक्षा का प्रतीक है और कहा जाता है कि जो कोई भी यहां पूजा करता है, वह सभी प्रकार के भय और खतरों से मुक्त हो जाता है।" शिव पुराण में भी इस मंदिर का वर्णन किया गया है. जामनगर से ये जगह १३० किलो मीटर के दुरी पर है, और द्वारका से सिर्फ १६ किलो मीटर के दुरी पर है.
११ : विश्वनाथ:
यह मंदिर हिंदुओं के सबसे पवित्र शहर वाराणसी, उत्तर प्रदेश में स्थित है, जहां एक हिंदू से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने जीवन में कम से कम एक बार तीर्थयात्रा अवश्य करे, तथा यदि संभव हो तो अपने पूर्वजों के अवशेषों को गंगा नदी में प्रवाहित भी करे. यह मंदिर पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है. ये मंदिर वहा बसा है जिसका ३५०० साल पुराना इतिहास दर्ज है, इसे काशी भी कहा जाता है.
१२: घृष्णेश्वर:
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग टेम्पल महाराष्ट्र में है जो की प्रसिद्ध एलोरा गुफाओं से १ किलो मीटर्स से भी काम दुरी पर है, जो छत्रपति समभाजी नगर जिसे औरंगाबाद के नाम से जाना जाता था वहा से ३५ किलो मीटर के दुरी पर है. शिव पुराण में भी इस मंदिर का वर्णन किया गया है.